Wednesday, 20 February 2013

एक संवाद ...!!!

तो: हा साहब, पचास रुपया होगा...
मी: चलेगा, लेकीन १ घंटा   रुकना पडेगा.
तो: कोई बात नही , बिना भाडे के दिनभर रुकानेसे अच्छा ही ना.. 
मी: अभी ९ बजे , आप को घर जाते जाते ११ बज जायेंगे...खाना कब खाओगे?
तो: वोह तो रोज का ही है ... लेकीन बेटी को बोला है , मेरेलीये रुकना नही ...खा के सो जाना ....
मी: फिर ?
तो: सुनता कौन है ? बीवी और चारो बच्चे के साथ खाना खाता हू १२ बजे.
मी: अच्छा...फिर आज मुझे होटल छोड के निकाल जाना . रुकना मत. मै पैदल चला जाऊगा...
तो:  नही नही ...मेहमानोंको थोडेही रास्तेमे छोडू...
मी: चाचा..........
तो: एक बात बोलो साहब.. सब लोग केहते है , हैदराबाद के लोग अच्चे हे... मुझे तो आने वाले लोग ज्यादा अच्छे लगते है .
१० साल पेहले एक मेहमान आये थे... दिल्लीके थे... दो साहब और एक म्याडम थे. उन्होने ५ दिन हमारा रिक्षा बुक किया. हमने उनको पुरा सिटी घुमाया..
बहोत अच्छे थे साहब. और म्याडम तो बहुत हि अच्छी ठी...अभी देखो, मी तब ४० साल का रहूंगा म्याडम २५ साल कि रहेगी... उनको गार्डन वगरा छोडके में बाहर खडा होता था तो म्याडम 
बुलाती थी . में एक बार उनको बोला, कि यहान गरम है , में थोडा दूर पेड के नीचे रूकता हू...तो म्याडम मेरे लिये पानी लेके आई साहाब...पानी लेके आई.
आके बोली कि धूप  है ...पानी पिओ...
वो मेरे साथ ५ दिन घुमे और फिर उनको हवाई अड्डा छोडा . वो तो ऐसे लागा कि अपनी बेटी को बिदा कर रहा हू . आंख मे पानी आया. वो म्याडम भी मतलब उनको थोडासा ...मतलब कि क्या बोलते ही न...
कि थोडासा अच्छां नही लाग रहा था... और लाग भी रहा था ...वैसे कूछ हुआ . उनको छोड के दोपहर को वापस घर आय साहब. उस दिन में गाडी हि नही चलाया साहाब....
मतलब चला हि नही पाया . पुरा दिन घर बैठा रहा.........
१० साल हो गये...फिर कभी रात ११ बजने से पेहले घर नही गया साहब....कभी नही .... ...............वैसे आप कहां खाएंगे खाना ???????? 

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