वो दो आँखे मुझे क्यूँ घूर रही है?
पूंच रही है सवाल, या दे रही है जवाब
बुला रही है, क्यूँ की "यहाँ खाइँ है?"
या तफा कर रही है, क्यूँ की "वहां खतरा है?"
वो दो आँखे मुझे क्यूँ घूर रही है?
रोक रही है जानेसे, या कर रही है रुकने को मना,
मेरे अंदर के भगवान को ललकार रहा है शैतान?
या मेरे शैतनियात को अगवा कर रहा है भगवान!
वो दो आँखे मुझे क्यूँ घूर रही है?
मेरी आखों मे धूंड रही है खुद को
या दिखा रही है मुझे आईना?
मैं रोज गुजरता हू ओर ये मुझे आज देख रही है?
या रोज मुझे देखती है जिस मैं आज मेहसूस कर रहा हुं?
वो दो आँखे मुझे क्यूँ घूर रही है !
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